Anil Mohan Novels PDF Download | फ्री हिंदी नोवेल्स ऑफ़ अनिल मोहन.

Anil Mohan के द्वारा लिखित यह Novels एक बहुत ही बेहतरीन है, इसे पढ़ कर आप आनंदित हो जायेगे , यह विभिन्न कहानियों , कथाओं से भरपूर है|

इनके द्वारा सभी नोवेल्स एक दम उच्च क्वालिटी के होते है, इनके सभी नावेल के पढ़ने वालो की संख्या काफी अधिक है | देश , विदेश से भी इनके नोवेल्स को पसंद किया जाता है |

Anil Mohan Novels PDF

अनिल मोहन एक जाने माने लेखक हैं, इनके द्वारा लिखे हुए कॉमिक्स बहुत ही रोमांचित एवं हास्य से भरपूर रहती है | इनकी नोवेल्स की सीरीज बहुत ही लम्बी है | जैसे खाकी की गद्दारी , सूरमा , हुक्म मेरे आका , मै हूँ देवराज आदि |

इस पोस्ट में मै सूरमा नामक नोवेल्स के बारे में बताने वाला हूँ | Anil Mohan Novels को लिंक के माध्यम से डाउनलोड कर सकते है |

Nameसूरमा
FormatNovels
Page480
LanguageHindi
Size21 MB
SeriesAnil Mohan Novels
WriterAnil Mohan

Some Parts Of Novels

देवराज चौहान कार की ड्राइविंग सीट पर मौजूद था | मोहन पीछे वाली सीट पर पकड़े हुए लेटा हुआ था शायद वह नींद में था, क्योंकि आधे पोने घंटे से वह कुछ नहीं बोल रहा था| देवराज चौहान के गालों पर तीन-चार दिन की सेव बढ़ी हुई थी|

बाल भी बिखरे हुए थे और मूच्छे लगा रखे थे कि अचानक उसे कोई पहचान ना पाए | एकाएक देवराज चौहान को कार का बैलेंस अटपटा सा लगा कार में कुछ गड़बड़ थी, उसने फौरन कार को साइड किया और इंजन बंद करते हुए बाहर निकला|

पास से तूफानी रफ्तार से कई वाहनों का आना-जाना जारी था | यह दिल्ली हाईवे था, जहां दिन-रात वाहनों की रफ्तार बनी रहती थी | देवराज चौहान ने कार के टायरों को चेक किया | पीछे का बाएं तरफ का पहिया बैठ रहा था | जाने की पंचर हो गया था शिवराज चौहान ने गहरी सांस लेकर इधर-उधर देखा पास में कहीं भी आबादी नही थी |

देवराज चौहान ने दिग्गी खोली भीतर स्टेफनी मौजूद थी परंतु वह भी पंचेर थी | देवराज चौहान गद्दी को बंद देवराज चौहान सड़क के किनारे उस तरफ बढ़ गया| जिधर किन्नू का ढेर लगाए हाथ में बैठा उसे ही देख रहा था, उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे की नौकरी ढेर के पीछे मौजूद थे |

बच्चे खेल रहे थे देवराज चौहान के पास पहुंचते ही किन्नू वाला बोला गाड़ी खराब हो गई साहब जी हां | पहिया पंचर हो गया देवराज चौहान का बदल लीजिए भैया, मैं बदल दू ₹50 लूंगा | जल्दी से बोला उसे देखे मुस्कुराया दूसरा भी पंचेर है|

यह तो बहुत गड़बड़ हो गई साहब यहां पंचर वाला किधर होगा, पास में तो कोई भी नहीं है| यह 1 किलोमीटर आगे जीरकपुर में है| जीरकपुर वहां तो बहुत है वहां तो जाना कैसे होगा यह तो आप जानू हाईवे पर कोई लिख भी नहीं देता पेड़ों की छांव में सड़क किनारे किनारे निकल जाओ 20 मिनट में पहुंच जाओगे |

जूस पिलाओ साहब जी, उठने का क्रम करता क्या उठा देवराज चौहान ने सरकार की तरफ देखा उस कार में मेरा भाई सोया हुआ है जो उसे तो उसे जूस पिलाना पंचर वाले को लेना समझा सड़क के किनारे सीधे-सीधे चले जाइए 1 किलोमीटर ही तो बात है|

सुनिए जी किन्नू के लिए के पीछे बैठी औरत के होते ही रात के लिए दाल बगैरा नहीं है| साहब जी जीरकपुर तो जा ही रहे हैं, तो घर मूंग छिलका मंगवा लीजिए राधा काम चल जाएगा नहीं तो सूखी रोटी खानी पड़ेगी|

सब्जी भरमा गिलकी की दाल के न्यू वाले ने कहना चाहा देवरा चौहान तक आगे बढ़ चुका था नहीं तो बहुत अच्छा लगता है उसकी पत्नी मुंह बना कर गई उठी पैसे वाले लोग ऐसे ही होते हैं|

Disclaimer

इस पोस्ट के माध्यम से आपलोग Anil Mohan Novels PDF कर के पढ़ सकते है | यह PDF हिंदी में है, आप सबको इसे पढ़ कर बहुत ही आनंद की अनुभूति होगी |

इस pdf से सम्बंधित किसी भी जानकारी चाहिए तो आप हमसे कमेन्ट करके पूछ सकते हैं , आपके कमेन्ट का हमें इंतजार रहेगा |

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