चतुरासी (चौरासी) पाठ इन हिंदी pdf | Chaturasi Path in Hindi .

आप इस पोस्ट में चतुरासी जी के पाठ को करने के लिए नियम, विधि आदि की जानकारी दी जाएगी | Chaturasi Path in Hindi के बारे हमारे पास उपलब्ध PDF को भी इस पोस्ट के माध्यम से आपको उपलब्ध कराया जायेगा|

Chaturasi Path in Hindi

इस पोस्ट में चौरासी पाठ को लिंक के माध्यम से आपको उपलब्ध कराया गया है| लिंक पर क्लिक करके आसानी से डाउनलोड कर सकते है | डाउनलोड करने के बाद इसे अच्छे तरीके से पढ़ सकते है तथा अपने मोबाइल लैपटॉप में सेव करके याद सकते है |

Nameश्री हित चौरासी
Size20 MB
Writerश्री हित हरिवंश महाप्रभु
Page275
Chaturasi Path in Hindi
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Chaturasi Path in Hindi
Chaturasi Path in Hindi

चतुरासी के निवेदन

श्री वृंदावन रस प्रगति कर्ता वंदे स्वरूप रंगाचार्य महाप्रभु श्री श्री हरिवंश चंद्र जी महाराज द्वारा उत्पादित श्री हित चौरासी, श्री वृंदावन रसिक है| जिसे लोग श्री हित चौरासी स्पुत वाणी एवं श्री राधा सुधा निधि के रूप में जानते हैं|

यह वाणी समुद्र की तरह आजाद एवं अपार है, जिसे उनकी कृपा से ही समझा जा सकता है| फिर भी महापुरुषों ने कृपा करके जनसामान्य के समझने एवं रसास्वादन के लिए पदों में निहित भावों को यथा शक्ति प्रकट करने का प्रयास किया है|

Shri hit Chaurasi के बारे में

श्री हित चौरासी की कई ठिकाने हैं, जिनमें कुछ एक प्रकाशित भी हो चुकी है| हमारे गुरुवर्य प्रातः स्मरणीय श्री हित कृपा मूर्ति परम भागवत स्वामी श्री हरिदास जी महाराज रस उपासना के मर्मज्ञ अधिकारी विद्वान थे|

उनके द्वारा की गई श्री हित चौरासी की रसिक मन रजनी टीका हृदयस्पर्शी एवं बड़ी ही रोचक है, इसमें कई पदों के नवीन भाग भी दिए हैं| हमारी संप्रदाय में पहले से ही राशियों के द्वारा दो प्रकार की मौजो की टीका करने की परंपरा चली आ रही है |

एक जिसमें मूल के अब वह सुरक्षित रखते हुए ब्रज लीला संबंधित पदों को निकुंज लीला की पृष्ठभूमि में रखते हुए अर्थ करना तथा दूसरी जिसमें मूल का सिर्फ निकुंज लीला पर एक ही अर्थ करना यह दोनों परंपराएं स्वास्थ्य रूप से अब भी विद्यमान हैं|

मेरे गुरुवर श्री महाराज जी ने पहले परंपरा का ही अनुसरण किया है, जब प्रेमी भक्तों के आगरा पर या टीका सन 1950 में प्रकाशित की गई थी| परंतु पीछे पूज्य महाराज जी उसके प्रकाशन से विरत हो गए यह टीका राशि प्रेमियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी |

इस भावना में हम प्रकाशित कर रहे हैं, इससे किसी भी प्रेमी उपासक को थोड़ा भी लाभ हुआ तो हम अपना प्रयास सफल मानेंगे |

चतुरासी पुस्तक के कुछ अंश

  • निवेदन
  • श्रीमन्ममहाप्रभु श्रीहित हरिवंश चन्द्र प्रशश्ति
  • श्रीहित चौरासी वाणी प्रशश्ति
  • मंगलाचरण
  • श्रीगुरु वंदना
  • shree ईस्ट देव वंदना
  • लेखक के भावोद्गार
  • पाक्कथन
  • हित चौरासी

हित चतुरसी पाठ करने का महत्व

चतुरासी जी का पाठ करने को ही सम्पूर्ण साधना कहा जाता है | जैसे किसी राजा के लिए दरबारी , मालिक के लिए नौकर उनकी स्तुति गाता है| उसी प्रकार हमें अपने श्री जी के लिए आराधना करना जरुरी होता है |

यदि श्री जी का नित्य प्रतिदिन आराधना की जाय तो हमें दुखो से मुक्ति के साथ साथ , जीवन मरण के बार बार चक्र से मुक्ति मिलती है |

Shri Hita Chaurasi Ji का श्लोक

मेरे तन मन प्राण हु ते प्रीतम प्रिय, अपने कोटिक प्राण प्रीतम मोसो हारे

जय श्रीहित हरिवंश हंस हंसिनी सांवल गौर, कहो कौन करे जल तरंगिनी न्यारे ।।1।।

प्रात समै दोऊ रस लंपट, सुरत जुद्ध जय जुत अति फूल।
श्रम-वारिज घन बिंदु वदन पर, भूषण अंगहिं अंग विकूल।
कछु रह्यौ तिलक सिथिल अलकावालि, वदन कमल मानौं अलि भूल।
(जै श्री) हित हरिवंश मदन रँग रँगि रहे, नैंन बैंन कटि सिथिल दुकुल ।।3।।

काहे कौं दुरत भीरु पलटे प्रीतम चीरु, बस किये स्याम सिखै सत मैंन।
गलित उरसि माल, सिथिल किंकनी जाल, (जै श्री) हित हरिवंश लता गृह सैंन ।।4।।

कौन चतुर जुवती प्रिया, जाहि मिलन लाल चोर है रैंन ।
दुरवत क्योंअब दूरै सुनि प्यारे, रंग में गहले चैन में नैन ।।
उर नख चंद विराने पट, अटपटाे से बैन ।
(जै श्री) हित हरिवंश रसिक राधापति प्रमथीत मैंन ।।6।।

निष्कर्ष

इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके Chaturasi Path pdf को डाउनलोड करके shree हित चौरासी का पाठ करे | इस pdf को को मोबाइल एवं लैपटॉप आदि में भी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं |

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